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लेखनी कहानी -29-Nov-2022

याद आती रही

याद आती रही,मुझे तडपाती रही!
रात की चाँदनी,खिल सताती रही!
न आया पिया ,मन घबराया!
फिर भी भीगे नयन से बुलाती रही।

न सांसे रुकी, न राहे मिली !
बस मैं विरहन बावरी गाती रही!
कहाँ झुप गया, न आया नजर !
फिर भी टूटे तार प्रेम के जोड़ती रही।

ये कैसे हुआ और क्यों था हुआ?
न जवाब मिला, रात गयी, सवेरा हुआ!
प्रेम की राह न दिखी कहीं!
फिर भी इंतजार में, दिल बूढ़ा हुआ।

किसका था कसूर, कौन दोषी बना?
कैसी प्रीत में था, मन मेरा सना!
खुले हैं नयन, न कोई आए नजर!
फिर भी बस तेरा चहरा  सहारा बना।

श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
#यादों का झरोखा
#2022

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1 Comments

Gunjan Kamal

04-Dec-2022 05:34 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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